"सिबिल"
नमस्कार
भाइयों बहनों, आज का विषय थोड़ा जटिल है किंतु इस बारे में हर किसी को जानकारी
होना जरूरी बन गया है दोस्तों कई बार हम लोन के लिए आवेदन करते हैं किंतु वह रिजेक्ट
हो जाता है आप जानतेही होंगे हमारे लोन का आवेदन रिजेक्ट होने के पीछे कई सारे
रीजन होते हैं उनमें से एक है हमारा सिबिल स्कोर हमने कई बार यह शब्द सुना होगा
सिविल स्कोर, सिविल स्कोर क्या होता है इस
को कौन मैनेज करता है तो दोस्तों आइए देखते हैं क्या है सिविल और लोन के मामलों
में वह अपनी भूमिका कैसे निभाता है
क्या है सिबिल.
दोस्तों, ट्रांस
यूनियन सिविल लिमिटेड नाम की भारत की पहली लोन इंफॉर्मेशन कंपनी / संस्था है जिसे क्रेडिट ब्यूरो भी कहा जाता है जिसे
आरबिआय ने प्रमाऩित किया है. यह संस्था हम व्यक्तियों / ईंडीविजअल
और कंपनी / संस्थाओं के लोन और क्रेडिट कार्ड से संबंधित
भुगतान का रिकॉर्ड्स रखती हैं यह रिकॉर्ड बैंकों और अन्य लेंडर द्वारा मासिक आधार
पर जमा किए जाते हैं इस जानकारी का उपयोग करके क्रेडिट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट एवम क्रेडिट स्कोर को विकसित किया जाता है जिसकी बदौलत बैंक लोन
आवेदनों का मूल्यांकन और स्वीकृति करती है
सिबिल स्कोर लोन मंजुरी मे कैसे काम करता है?
दोस्तों, सिविल स्कोर लोन के आवेदन प्रक्रिया में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है हमारे आवेदन भरने और उसे बैंक को सौंपने के बाद बैंक पहले
हमारा क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करता है यदि क्रेडिट स्कोर कम है
तो बैंक शायद आगे हमारे आवेदन पर विचार भी नहीं करती और उसी क्षण उसे रदद कर देती
है, यदि क्रिकेट स्कोर अधिक है तो हमारे आवेदन पर विचार करती है तथा वह बाकी
विकल्पोंका विचार करती है के आवेदन लोन के योग्य है या नहीं, क्रेडिट स्कोर हमारे
लिए पहले फर्स्ट ईंप्रेशन का काम करता है स्कोर जितना अधिक होगा लोन मिलनेकी संभावना
उतनी बेहतर होती है. कंतु लोन देना केवल पुरी तरहसे बैंकों पर निर्भर होता है और
उस पर सिविल का कोई लेना देना नहीं होता.
आपके
स्कोर पर कौनसी बाते प्रभावित करती हैं
दोस्तों, कुछ बाते आपके स्कोर को
नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. जैसे
1.
पेमेंट हिस्ट्री.
विलंब से भुगतान करना या आपकी ईएमआई में बाऊंस होना या बकाया रहना (हाल में या लगातार) दिखाता है कि अपनी मौजूदा लोन को अदा करने में आपको परेशानी हो रही है और यह आपके स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.
विलंब से भुगतान करना या आपकी ईएमआई में बाऊंस होना या बकाया रहना (हाल में या लगातार) दिखाता है कि अपनी मौजूदा लोन को अदा करने में आपको परेशानी हो रही है और यह आपके स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.
2.
क्रेडिट लिमीट का अधिक उपयोग: अपने
क्रेडिट कार्ड पर बढ़ा हुआ खर्च ज़रूरी नहीं है कि आपके स्कोर को निगेटीव रूप से
प्रभावित करेगा, वहीं
दूसरी ओर आपके क्रेडिट कार्ड के अवेलेबल बैलेंस में बढ़ोतरी होना चुकता करने के
बढ़े हुए भार का संकेत करता है और आपके स्कोर को निगेटीव रूप से प्रभावित कर सकता
है.
3.
लोन्स का संतुलन ना रखना:
सिक्योर
लोन्स (जैसे ऑटो, होम लोन, और अनसिक्योर
लोन्स (जैसे पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड, ) के बीच संतुलन ना रखने से आपके स्कोर पर अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
4.
हाल ही में कई नए खाते खोलना: यदि
आपको हाल ही में अलग अलग लोन्स और क्रेडिटस कार्डस मिले है तो बैंक आपके आवेदन को सावधानी से देखेंगे क्योंकि यह आचरण संकेत करता है कि
आपके लोन्स का भार बढ़ चुका है,
जो आपके स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा.
आप अपने क्रेडिट स्कोर को कैसे सुधार सकते हैं.
दोस्तों, आप अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री
बनाकर क्रेडिट स्कोर को सुधार सकते हैं. जिसे बैंको
द्वारा सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है और इसे 6 सरल नियमों के साथ किया जा सकता है :
1.
हमेशा अपनी देय राशि / ईएमआय समय पर अदा करते रहें. विलंबित भुगतानों को बैंको द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जाता है.
2.
अपने बैलेंस हमेशा कम रखें. अत्यधिक लोन का उपयोग करना हमेशा उचित
नहीं होता, अपने इस
उपयोग को नियंत्रित रखें ऊसे बैंको द्वारा नकारात्मक रूप से
देखा जाता है.
3.
लोन का ठिकठाक मेल रखें. सिक्योर
(जैसे होम लोन, ऑटो लोन)
और अनसिक्योर लोन्स (जैसे पसर्नल लोन, क्रेडिट कार्डस) का मेल
रखना जरुरी है. बहुत अधिक अनसिक्योर लोन्स होना बैंको
द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जाता है.
4.
नए लोन का आवेदन नार्मल तरीके से करें. आप लोन को बहुत जादा आवश्यकता
है ऐसा ना दिखाएं, नये लोन
के लिए सावधानी से आवेदन करें. बहुत जादा आवश्यकता को भी बैंको द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जाता है.
5.
अपने सिग्नेचर,
और जाईंट अकाउंट्स की निगरानी मासिक रूप से करें. जाईंट सिग्नेटरी,
गारंटर या जाईंट अकाउंट्स में हुए गलत पेमेंट के लिए आपको बराबर का रेस्पोंसीबल
माना जाता है. ईसी लिए पूरे वर्ष अपने लोन हिस्ट्रीको बार-बार चेक करते रहें. अकाउंट्स
में हुए गलत पेमेंटको भी बैंको द्वारा नकारात्मक रूप से
देखा जाता है.
6.
पूरे वर्ष अपने क्रेडिट हिस्ट्री की बार-बार समीक्षा करते रहें.
क्या है आय़डीयल क्रेडिट
स्कोर :
दोस्तों,FICO
(Financial Accounting and CO (Controlling) के स्टेंडर्डस के मुताबीक 760 अंक से जादा यानी
कमसे कम 760 होना आय़डीयल माना जाता है (760 and above on a scale of 300 to 850 is
generally considered good.) जिससे आपको बेहतर क्रेडिट
लिमीट मिल सकता हे
दोस्तों, आजकलकी भागदौड भरी जिंदगीमे अगर हम थोडासा खयाल अपनी क्रेडीट स्कोर
की तरफ दें तो हमारी तमाम लायबलीटीज को हम अच्छी तरह से मेनेज कर पाएंगे और हमारी लायबलीटीज
हमारा सर दर्द नहीं बल्की हमदर्द बन जाएंगी लोन लेना भलेही आसान हो ऊसे ढंगसे
मेनेज करना जादा जरुरी होता है.
धन्यवाद!.
टिपण्णी: ऊपरोक्त जानकारी ऊपलब्ध
स्त्रोतोंसे संकलन करके प्रस्तुत की हे.
doston maine apana blog shuru kiya hai kripaya apayani amulya rai comment ke rup me jarur de
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