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Saturday, February 4, 2017

MUDRA BANK, MUDYA YOJANA


 मुद्रा योजना
  


नमस्कार भाइयों बहनों, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई चाहता है अपना छोटा मोटा उद्योग शुरू करें, अपने कौशल के दम पर खुद की दुनीया बसाए।  
किंतु उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है "पूंजी" क्या करें कैसे करें कहां से लाए निवेश? रिस्क भी होती है उद्योग में कभी प्लस हो सकता है कभी मायनस हो सकता है तो फीर करें तो क्या करें ?
दोस्तों इसीलिए केंद्र सरकार ने अपने वादे के मुताबिक 8 अप्रैल 2015 को 20 हजार करोड़ रुपए के कॉर्पस फंड और 3,000 करोड़ रुपए के क्रेडिट गारंटी कॉर्पस के साथ माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) बैंक का उद्घाटन किया। वित्तमंत्री श्री. अरुण जेटलीजी ने 2015-16 के बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी, जिसे अस्तीत्व मे लाया गया।




दोस्तों आइए देखते है मुद्रा बैंक किस तरह अर्थव्यवस्था में अच्छे दिन लाएगा ?
देखा जाए तो देश की ज्यादातर आबादी, भारत के ग्रामीण और पिछडे ईलाकों में रहने वाली है जो, बैंकोंके लाभों के दायरे से बाहर हैं। इस वजह से वे छोटे मोटे व्यापार शुरू करने या उन्हें बढ़ाने में मदद के लिए बीमा, कर्ज, और अन्य वित्तीय संसाधनों तक वह पहुंच ही नहीं पाते थे। कर्ज के लिए वे ज्यादातर स्थानीक साहूकारों पर निर्भर रहते हैं। कर्ज पर बहुत ज्यादा ब्याज चुकाना होता है। अक्सर परिस्थितयां असहनीय हो जाती हैं। इस वजह से पीढि़यों तक यह गरीब लोग कर्ज के तले दबे रहते हैं। जब व्यापार में नाकामी हाथ लगती है तो यह साहूकार अपनी ताकत और अन्य अपमानजनक तरीकों से कर्ज लेने वालों का जीना दूशवार कर देते हैं।
आंकडों मुताबिक, तकरीबन 5.77 करोड़ लघु व्यसायिक संस्था हैं। इनमें से ज्यादातर प्रोपरायटरीशीप के तहत चल रही हैं। इनमें व्यापार, निर्माण, रिटेल और छोटे स्तर की अन्य गतिविधियां शामिल हैं। आप इसकी तुलना संगठित क्षेत्र और बड़ी कंपनियों से कीजिए जो 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। स्पष्ट तौर पर इन लघु व्यवसायों के पोषण की विशाल संभावनाएं हैं और जो सरकार भी इसे अच्छे-से समझती चुकी है। आज, इस क्षेत्र में न तो कोई नियम है और न ही संगठित वित्तीय बैंकिंग प्रणाली से वित्तीय सहयोग या सहारा मिलता है।




दोस्तों आइए देखते है मुद्रा बैंक के प्रमुख उद्देश्य क्या हैः

1. सूक्ष्म वित्त के ऋणदाता और कर्जगृहिता का नियमन और सूक्ष्म वित्त प्रणाली में नियमन और समावेशी भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए उसे स्थायित्व प्रदान करना।
2. सूक्ष्म वित्त संस्थाओं और छोटे व्यापारियों, रिटेलर्स, स्वसहायता समूहों और व्यक्तियों को उधार देने वाली एजेंसियों को वित्त एवं उधार गतिविधियों में सहयोग देना।
3. सभी एमएफआई को रजिस्टर करना और पहली बार प्रदर्शन के स्तर (परफॉर्मंस रेटिंग) और अधिमान्यता की प्रणाली शुरू करना। इससे कर्ज लेने से पहले आकलन और उस एमएफआई तक पहुंचने में मदद मिलेगी, जो उनकी जरूरतों को पूरी करते हो और जिसका पुराना रिकॉर्ड सबसे ज्यादा संतोषजनक है। इससे एमएफआई में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इसका फायदा कर्ज लेने वालों को मिलेगा।
4. कर्ज लेने वालों को ढांचागत दिशानिर्देश उपलब्ध कराना, जिन पर अमल करते हुए व्यापार में नाकामी से बचा जा सके या समय पर उचित कदम उठाए जा सके। डिफॉल्ट के केस में बकाया पैसे की वसूली के लिए किस स्वीकार्य प्रक्रिया या दिशानिर्देशों का पालन करना है, उसे बनाने में मुद्रा मदद करेगा।
5. मानकीकृत नियम-पत्र तैयार करना, जो भविष्य में सूक्ष्म व्यवसाय की रीढ़ बनेगा।
6. सूक्ष्य व्यवसायों को दिए जाने वाले कर्ज के लिए गारंटी देने के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम बनाएगा।
7. वितरित की गई पूंजी की निगरानी, कर्ज लेने और देने की प्रक्रिया में मदद के लिए उचित तकनीक मुहैया कराएगा।






मुद्रा बैंक ने कर्ज लेने वालों को तीन हिस्सों में बांटा हैः व्यवसाय शुरू करने वाले, मध्यम स्थिति में कर्ज तलाशने वाले और विकास के अगले स्तर पर जाने की चाहत रखने वाले।
इन तीन हिस्सों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुद्रा बैंक ने तीन कर्ज उपकरणों की शुरुआत की हैः
1. शिशुः इसके दायरे में 50 हजार रुपए तक के कर्ज आते हैं।
2. किशोरः इसके दायरे में 50 हजार से 5 लाख रुपए तक के कर्ज आते हैं।
3. तरुणः इसके दायरे में 5 से 10 लाख रुपए तक के कर्ज आते हैं।
शुरुआत में कुछ ही क्षेत्रों तक योजनाएं सीमित हैं, जैसे- जमीन परिवहन, सामुदायिक, सामाजिक एवं वैयक्तिक सेवाएं, खाद्य उत्पाद और टेक्सटाइल प्रोडक्ट सेक्टर। समय के साथ नई योजनाएं शुरू की जाएंगी, जिनमें और ज्यादा क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।




दोस्तों आइए देखते है मुद्रा बैंक आम जनता के लिए कैसे कारगर साबित हो सकता है?
हां, यह ऐसा कर सकता है। मौजूदा जनसांख्यिकीय को देखें। भारत की बहुसंख्य आबादी गरीब है। यह भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं। इनमें से ज्यादातर को तो वह सुविधाएं भी नहीं मिलती, जिन्हें बुनियादी कहा जाता है, यहां तक कि भारतीय मानकों में भी। ज्यादातर लोगों के पास खेती के लिए जमीन नहीं है और नौकरियों के अभाव में खुद को खाना खिलाने और जिंदा रखने के लिए उन्हें अपनी सृजनात्मकता पर निर्भर रहना पड़ता है। वे विषम कामों को करने के रास्ते तलाशते हैं। पैसे की खातिर या सेवाओं के बदले वस्तुएं लेकर वे अपनी आजीविका चलाते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के हैं। सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बात यह है कि ज्यादातर छोटे कारोबार, रिटेल या व्यापारिक गतिविधियां, महिलाएं शुरू करती हैं और नियंत्रित भी। जबकि उनके पास शिक्षा, औपचारिक प्रशिक्षक या किसी भी तरह का बैंकिंग सहयोग नहीं रहता।




दोस्तों मुद्रा बैंक सरकार का केवल एक कदम है, जो नए उद्यमियों को जन्म दे सकता है। उनमें से कुछ ऊंचाइयों को छू सकते हैं, जिनकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह सब्सिडी देने से हजारगुना बेहतर है। क्येकी सब्सिडी शुरुआत में तो अच्छी लगती है लेकिन जिंदगी के बेहतर बनानेमे बहुत कम मदद करती है।
बल्की अडचने पैदा करती है
मुद्रा बैंक एक ऐसा रास्ता है जिस पर आगे बढ़ा जा सकता है।
मुद्रा बैंक के कामकाज के तौर-तरीके तय हो चुके हैं। यह निर्णय लिया गया है कि सूक्ष्म वित्त संस्थानों की ओर से पैसा उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि, छोटे व्यवसायों को मुद्रा बैंक से जुड़ी पूरी जानकारी हासिल करने और कर्ज के लिए कौन पात्र है और इस योजना का लाभ किस तरह लिया जा सकेगा, इसकी स्पष्टता के लिए इंतजार करना होगा। अतह अंत भला तो सब भला यही सोचकर हमें सरकार द्वारा जो सुनहरा मैका दिया जा रहा है ऊसका लाभ ऊठाना चाहिए। अपनें सपनों को आकार दें, और जो भी अपना छोटा मोटा ऊदयोग शुरु करना चाहता हो वह नजदिकी बैंकोंमे संपर्क करें आपश्यक दस्तावेजोंकी आपुर्ती करें और सफलताकी ओर कदम बढाए तथा देश के विकास मे अपना योगदान दें।


जय हिंद !...

3 comments:

  1. doston maine apana blog shuru kiya hai kripaya apayani amulya rai comment ke rup me jarur de

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  2. Jin ko sach me jarurat hoti hai mudra lone Ki un tak to ye pohch hi nahi pata

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  3. @ ganesh swami sab se pahele aapki rai dene ke liye dhnayawad
    ham jante hai koi bhi sarkari yojana aati hai usme loop holes hote hai kintu hamari soch badalna bhi jaruri hai, ham koshish karenge to koi bhi bat impossible nahi hai, aakade kahate hai ki yaha yojana is govt ki abtak ki sabae saphal yojana me se ek hai dhnayawad

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